Posts

Showing posts from July, 2020

Situation of Unlock-3

Image
प्रणाम दोस्तो , भारत में कोरोना को पांच महीने पुरे होने को है. जिनमे से तीन महीने से ज्यादा lockdown  रहा , वैसे तीन महीने बहुत ही पर्याप्त समय होता है किसी भी महामारी रोकने के लिए, बस आकांक्षा होनी चाहिये, पर हमारे यहाँ महामारी को रोकने से ज्यादा इस बात पर जोर दिया गया और दिया जा रहा की महामारी अभी फैली ही नहीं है या हम दूसरे राज्य या दूसरे देश की तुलना में बहुत कम प्रभावित है.. इसके लिए हर हथकंडे अपनाये जा रहे, जैसे टेस्टिंग कम करना, मरीज को संदिग्ध बता कर ही गोपनीय तरीके से उसका अंतिम संस्कार कर देना जिससे आकड़े बढे हुए नहीं दिखे। उसी का परिणाम आज हमारा देश और उसके कई राज्य भुगत रहे है, कुछ राज्यों में तो इस वजह से विधायक, सांसद, मंत्री तो क्या मुख़्यमंत्री तक को महामारी ने चपेट में ले लिया है.  चलो छोडो अब इन बातो से कोई मतलब नहीं रह गया है. क्योकि अब सबसे बड़ी चिंता आम आदमी की आजीविका की है, ४-५ महीने से घर बैठे हुए मध्यमवर्गीय परिवारों के सामने महामारी से कम और भूख से मरने की ज्यादा चिंता है, निकम्मी सरकारों ने तो न जान को छोड़ा न जहाँ को. इन्ही सब बातो को ध्य...

मुख्यमंत्री कोरोना पॉजिटिव

Image
मध्यप्रदेश में महामारी काल में सरकार गिराकर मुख्यमंत्री बनने वाले शिवराज सिंह चौहान कोराेना पॉज़िटिव आए है। ज्यादा बुरा तो नहीं लगा क्योंकि 25000+ लोगो को भी मध्यप्रदेश में कोरोना पॉज़िटिव आया है। महामारी के आपातकालीन समय में भी जो इंसान सरकार गिरा कर खुद मुख्यमंत्री बनने जैसा साहसी कदम उठा सकता है, उसके लिए क्या दुख हो सकता है। जिस समय आपको अपने राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर निस्वार्थ भाव से जनता की सेवा करना चाहिए, उस समय आपने पूरे राज्य में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी, सरकार अस्थिर कर दी, गिरा दी, काम नहीं करने दिया। खुद सारी जिम्मेदारी अपने कंधो पर उठा ली। आम जनता को आप मास्क लगाने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की बात की पर खुद भीड़ के बीच में बिना मास्क के देखे गए। अपने साथियों से सरकार बनने कि खुशी में ना सिर्फ हाथ मिलता जबकि गले भी मिले। वैसे कोरोंना किसी को भी नहीं देखता ना राजनीतिक दल, ना धर्म, ना गोरा, ना काला, ना अमीर, ना गरीब। पर आपको लगा मुख्यमंत्री को कोरोनावायरस हो ही नहीं सकता। इसलिए आपने इतने साहसिक कार्य किए। चलिए कोई बात नी आपके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते है, और उम्मीद ...

उप्र में पत्रकार की गोली मारकर हत्या। 😡😡

प्रणाम मित्रों.. एक बात समझ नहीं आती, उत्तर प्रदेश में पुलिसवालें गुंडे है या गुंडे पुलिस है। शायद दोनों एक ही है, विकास दुबे एनकाउंटर के बाद जो नया मामला सामने आ रहा है वो है पत्रकार की सरेआम लात घुसो से पीटकर सर में गोली मारकर हत्या कर देना। जिस पत्रकार की उसकी पत्नी और छोटी सी बेटी के सामने हत्या कर दी गई वो अपनी भांजी से छेड़छाड़ करने के वाले गुंडों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाने गया था, पर पुलिस ने ध्यान भी नहीं दिया। इसके बाद वह उच्च अधिकारी से मिला पर वहा से भी निराशा ही हाथ लगी और वही हुआ जिसका डर था। यहां पुलिस की भूमिका संदेहास्पद नहीं है, यकीन के साथ कह सकते है की पुलिस की वज़ह से ही एक बच्चे का बाप खो गया और पत्नी विधवा हो गई। एक अच्छा भला परिवार उजड़ गया। परिवार वाले अनाथ हो गए। सरकार कितनी आई और चली गई पर उप्र की हालत वही है, क्योंकि यहा पुलिसराज और गुंडाराज एक ही है। जब पुलिस ही गुंडा है तो उम्मीद क्या कर सकते है। विकास दुबे के समय जिन पुलिसकर्मियों की हत्या हुई है उसमे भी कुछ पुलिसवालों का ही हाथ है। आखिर कब ये जंगलराज खतम होगा।

राज्यपाल लालजी टंडन का निधन

Image
बड़ी खबर - मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री लालजी टंडन का आज सुबह 5:00 बजकर 35 मिनट पर लखनऊ के मेदांता अस्पताल में हुआ निधन ।। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इसकी जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और उनके बेटे आशुतोष टंडन ने ट्विटर पर एक पोस्ट के माध्यम से साझा की। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- बाबूजी नहीं रहे। लालजी बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज लखनऊ में चल रहा था।  ओम शांति ओम शांति ओम शांति 💐💐💐💐 भगवान उनको अपने चरणों में स्थान दे👏🏻👏🏻

प्रधानमंत्री क्या करे?

दुनिया में एक ऐसी महामारी फैली हुई है जिसके आगे सब बेबस है। पर इसका ये मतलब नहीं होता कि उस तरफ से ध्यान हटाकर दूसरे कामों में लगाया जाए। हमारा देश भारतवर्ष बहुत ही विशाल राष्ट्र है, पूरी दुनिया में जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर आता है। पर यहां का सरकारी तंत्र इसके नियंत्रण के लिए सक्षम है। अनेक राज्यो में बटे इस देश को चलाना कठिन है पर इतना भी नहीं जितना दिखाया जाता है। वर्तमान प्रधानमंत्री ने कई बड़ी बड़ी बाते करके आसानी से प्रधानमंत्री के पद को प्राप्त किया। परन्तु अब उनके समर्थन में एक बात सुनने को मिलती है कि प्रधानमंत्री भी क्या करे, महमारी तो पूरी दुनिया झेल रही हैं। जी हां पूरी दुनिया झेल रही हैं और पूरा भारतवर्ष भी झेल रहा है और इसके कई राज्यो में ये नियंत्रण से बाहर हो गई है। यहां में दो राज्यो के उदाहरण सामने लाना चाहता हूं। एक दिल्ली और दूसरा गुजरात, गुजरात में मृत्यु दर बहुत अधिक है क्योंकि वहां इस महामारी को खतम करने की जगह दबाया जा रहा है। लगभग 7 करोड़ की आबादी वाले गुजरात में सिर्फ 6000 जांचे प्रतिदिन हो रही है। कितने ही संदिग्ध मर चुके है पर उन्हें corona के तह...

सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या के प्रभाव

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या से एक बात स्पष्ट हो गई है कि बॉलीवुड में भाई भतीजावाद और गुटबाजी किस हद तक बढ़ चुकी है, अब वो समय आ गया है जब सोशल मीडिया के माध्यम से हर छोटी बड़ी चीज खुल कर पब्लिक के सामने आने लगी है। लोग सलमान खान, एकता कपूर, करण जौहर आदि का खुल कर विरोध कर रहे है, इनकी फिल्मों का बॉयकॉट होगा तब इन्हे अक्ल आएगी। ये लोग अपने आपको फिल्म इंडस्ट्री का कर्ताधर्ता समझने लगे है। इनके तलवे चाटे इनकी हा में हा मिलाई जाए तब तक सब सही रहता है पर कोई इंसान अपना निर्णय खुद ले ले जो इनको रास ना आए तो ये उसका कैरियर तबाह करने में लग जाते है। अब धीरे धीरे परिदृश्य बदल रहा है, जो गलत होगा उसे उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। शाहरुख खान की आखिरी कुछ फिल्में इसका अच्छा उदाहरण है। गलत बयानबाजी और पाकिस्तानी प्रेम की वजह उनकी फिल्मों का बॉयकॉट हुआ, और इतना बड़ा बॉलीवुड का किंग धराशाई हो गया। फैन, डियर ज़िन्दगी, जब हैरी मेट सेजल, ज़ीरो जैसी कितनी ही फिल्में एक के बाद एक बॉक्स ऑफिस पर उल्टे मुंह गिरी। सुशांत सिंह राजपूत आपको फिर भी खुदकुशी नहीं करनी चाहिए थी। क्योंकि फिल्म उद्योग में ऐसे भ...