उप्र में पत्रकार की गोली मारकर हत्या। 😡😡
प्रणाम मित्रों..
एक बात समझ नहीं आती, उत्तर प्रदेश में पुलिसवालें गुंडे है या गुंडे पुलिस है। शायद दोनों एक ही है, विकास दुबे एनकाउंटर के बाद जो नया मामला सामने आ रहा है वो है पत्रकार की सरेआम लात घुसो से पीटकर सर में गोली मारकर हत्या कर देना।
जिस पत्रकार की उसकी पत्नी और छोटी सी बेटी के सामने हत्या कर दी गई वो अपनी भांजी से छेड़छाड़ करने के वाले गुंडों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाने गया था, पर पुलिस ने ध्यान भी नहीं दिया। इसके बाद वह उच्च अधिकारी से मिला पर वहा से भी निराशा ही हाथ लगी और वही हुआ जिसका डर था।
यहां पुलिस की भूमिका संदेहास्पद नहीं है, यकीन के साथ कह सकते है की पुलिस की वज़ह से ही एक बच्चे का बाप खो गया और पत्नी विधवा हो गई। एक अच्छा भला परिवार उजड़ गया। परिवार वाले अनाथ हो गए।
सरकार कितनी आई और चली गई पर उप्र की हालत वही है, क्योंकि यहा पुलिसराज और गुंडाराज एक ही है। जब पुलिस ही गुंडा है तो उम्मीद क्या कर सकते है। विकास दुबे के समय जिन पुलिसकर्मियों की हत्या हुई है उसमे भी कुछ पुलिसवालों का ही हाथ है।
आखिर कब ये जंगलराज खतम होगा।
एक बात समझ नहीं आती, उत्तर प्रदेश में पुलिसवालें गुंडे है या गुंडे पुलिस है। शायद दोनों एक ही है, विकास दुबे एनकाउंटर के बाद जो नया मामला सामने आ रहा है वो है पत्रकार की सरेआम लात घुसो से पीटकर सर में गोली मारकर हत्या कर देना।
जिस पत्रकार की उसकी पत्नी और छोटी सी बेटी के सामने हत्या कर दी गई वो अपनी भांजी से छेड़छाड़ करने के वाले गुंडों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाने गया था, पर पुलिस ने ध्यान भी नहीं दिया। इसके बाद वह उच्च अधिकारी से मिला पर वहा से भी निराशा ही हाथ लगी और वही हुआ जिसका डर था।
यहां पुलिस की भूमिका संदेहास्पद नहीं है, यकीन के साथ कह सकते है की पुलिस की वज़ह से ही एक बच्चे का बाप खो गया और पत्नी विधवा हो गई। एक अच्छा भला परिवार उजड़ गया। परिवार वाले अनाथ हो गए।
सरकार कितनी आई और चली गई पर उप्र की हालत वही है, क्योंकि यहा पुलिसराज और गुंडाराज एक ही है। जब पुलिस ही गुंडा है तो उम्मीद क्या कर सकते है। विकास दुबे के समय जिन पुलिसकर्मियों की हत्या हुई है उसमे भी कुछ पुलिसवालों का ही हाथ है।
आखिर कब ये जंगलराज खतम होगा।
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