Situation of Unlock-3

प्रणाम दोस्तो ,
भारत में कोरोना को पांच महीने पुरे होने को है. जिनमे से तीन महीने से ज्यादा lockdown  रहा , वैसे तीन महीने बहुत ही पर्याप्त समय होता है किसी भी महामारी रोकने के लिए, बस आकांक्षा होनी चाहिये, पर हमारे यहाँ महामारी को रोकने से ज्यादा इस बात पर जोर दिया गया और दिया जा रहा की महामारी अभी फैली ही नहीं है या हम दूसरे राज्य या दूसरे देश की तुलना में बहुत कम प्रभावित है.. इसके लिए हर हथकंडे अपनाये जा रहे, जैसे टेस्टिंग कम करना, मरीज को संदिग्ध बता कर ही गोपनीय तरीके से उसका अंतिम संस्कार कर देना जिससे आकड़े बढे हुए नहीं दिखे। उसी का परिणाम आज हमारा देश और उसके कई राज्य भुगत रहे है, कुछ राज्यों में तो इस वजह से विधायक, सांसद, मंत्री तो क्या मुख़्यमंत्री तक को महामारी ने चपेट में ले लिया है. 
चलो छोडो अब इन बातो से कोई मतलब नहीं रह गया है. क्योकि अब सबसे बड़ी चिंता आम आदमी की आजीविका की है, ४-५ महीने से घर बैठे हुए मध्यमवर्गीय परिवारों के सामने महामारी से कम और भूख से मरने की ज्यादा चिंता है, निकम्मी सरकारों ने तो न जान को छोड़ा न जहाँ को. इन्ही सब बातो को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार अनलॉक ३ ला रही है. अब कुछ और करने को रह भी नहीं गया है,  प्रतिदिन ५०००० के आसपास मरीजों की संख्या बढ़ रही है. पर अब ना महामारी से बचने के लायक रहे न ही अर्थव्यवस्था को बचा पा रहे.

अनलॉक  3 में सिनेमा हॉल २५% से साथ, जिम, फिटनेस सेण्टर, योग केंद्र, आयुर्वेदिक केंद्र, स्पा थेरेपी सेण्टर  खोलने का प्रावधान था. पर अभी सिनेमा हॉल को अनुमति नहीं दी है. इनमे से ज्यादातर स्वास्थ श्रेणी में आते है. मुझे एक बात समझ नहीं आती की कोरोना सिर्फ समय या व्यापार देख कर ही आता है क्या? जब शराब की दुकानों पर बिना मास्क के सोशल डिस्टैन्सिंग की धज्जिया उड़ाई जा सकती है तो फिर पूरा बाजार खोलने में क्या परेशानी है? वैसे भी कोरोना वायरस तो अब घर-घर, मोहल्ले-मोहल्ले में जा चूका है. तो आधा बंद आधा खुला, उस समय बंद इस समय चालू करने का क्या मतलब रह जाता है?

कुछ भी हो हमारा देश भगवान् भरोसे ज्यादा चलता है तो वही कुछ करेंगे, जल्द ही कोरोना वैक्सीन आये और देश की डूबती नैया को भगवान् पार लगाए क्योकि अब वही सबकुछ कर सकते है. बाकि सरकार तो आपका ध्यान बटाने के काम में तत्परता से काम कर ही रही है,
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय;

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