प्रधानमंत्री क्या करे?
दुनिया में एक ऐसी महामारी फैली हुई है जिसके आगे सब बेबस है। पर इसका ये मतलब नहीं होता कि उस तरफ से ध्यान हटाकर दूसरे कामों में लगाया जाए। हमारा देश भारतवर्ष बहुत ही विशाल राष्ट्र है, पूरी दुनिया में जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर आता है। पर यहां का सरकारी तंत्र इसके नियंत्रण के लिए सक्षम है। अनेक राज्यो में बटे इस देश को चलाना कठिन है पर इतना भी नहीं जितना दिखाया जाता है। वर्तमान प्रधानमंत्री ने कई बड़ी बड़ी बाते करके आसानी से प्रधानमंत्री के पद को प्राप्त किया। परन्तु अब उनके समर्थन में एक बात सुनने को मिलती है कि प्रधानमंत्री भी क्या करे, महमारी तो पूरी दुनिया झेल रही हैं। जी हां पूरी दुनिया झेल रही हैं और पूरा भारतवर्ष भी झेल रहा है और इसके कई राज्यो में ये नियंत्रण से बाहर हो गई है।
यहां में दो राज्यो के उदाहरण सामने लाना चाहता हूं। एक दिल्ली और दूसरा गुजरात, गुजरात में मृत्यु दर बहुत अधिक है क्योंकि वहां इस महामारी को खतम करने की जगह दबाया जा रहा है। लगभग 7 करोड़ की आबादी वाले गुजरात में सिर्फ 6000 जांचे प्रतिदिन हो रही है। कितने ही संदिग्ध मर चुके है पर उन्हें corona के तहत नहीं माना जाता सिर्फ राज्य के आंकड़े सुधारने के लिए। इतनी ही आबादी वाले तमिलनाडु में 35000 जांच प्रतिदिन होती है। बात अगर छोटे से राज्य दिल्ली की करे तो सिर्फ 2 करोड़ आबादी वाले राज्य में 23000 जांच प्रतिदिन होती है।
जांच करने से क्या होता है?
जांच जितनी जल्दी होती है, संक्रमण का पता भी उतनी ही जल्दी लग जाता है, उतनी ही जल्दी मरीज के ठीक होने की संभावनएं होती है, और जान जाने का खतरा उतना ही दूर चला जाता है। यही कारण है की दिल्ली जहा corona बेकाबू हो चुका था वहां 121582 में से 101274 लोग इस बीमारी से ठीक हो चुके है। और सिर्फ 20000 के लगभग ही एक्टिव कैस हैं। हा पर एस तरह से काम करने के लिए सरकार को ईमानदार और निश्वार्थ होना चाहिए। दिल्ली सरकार की प्रशंसा खुद प्रधानमंत्री ने की है और सभी राज्यो में दिल्ली मॉडल को लागू करने की अनुशंसा की है।
तो बात यही है प्रधानमंत्री को क्या करना चाहिए? गुजरात सरकार की तरह महामारी को दबाने का प्रयास करना चाहिए जिससे कई बेगुनाह लोग यू ही काल के गाल में समाते जाए। या दिल्ली सरकार की तरह बदनामी से डरे बिना ईमानदारी के साथ उस और महत्त्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए?
जय हिन्द।
यहां में दो राज्यो के उदाहरण सामने लाना चाहता हूं। एक दिल्ली और दूसरा गुजरात, गुजरात में मृत्यु दर बहुत अधिक है क्योंकि वहां इस महामारी को खतम करने की जगह दबाया जा रहा है। लगभग 7 करोड़ की आबादी वाले गुजरात में सिर्फ 6000 जांचे प्रतिदिन हो रही है। कितने ही संदिग्ध मर चुके है पर उन्हें corona के तहत नहीं माना जाता सिर्फ राज्य के आंकड़े सुधारने के लिए। इतनी ही आबादी वाले तमिलनाडु में 35000 जांच प्रतिदिन होती है। बात अगर छोटे से राज्य दिल्ली की करे तो सिर्फ 2 करोड़ आबादी वाले राज्य में 23000 जांच प्रतिदिन होती है।
जांच करने से क्या होता है?
जांच जितनी जल्दी होती है, संक्रमण का पता भी उतनी ही जल्दी लग जाता है, उतनी ही जल्दी मरीज के ठीक होने की संभावनएं होती है, और जान जाने का खतरा उतना ही दूर चला जाता है। यही कारण है की दिल्ली जहा corona बेकाबू हो चुका था वहां 121582 में से 101274 लोग इस बीमारी से ठीक हो चुके है। और सिर्फ 20000 के लगभग ही एक्टिव कैस हैं। हा पर एस तरह से काम करने के लिए सरकार को ईमानदार और निश्वार्थ होना चाहिए। दिल्ली सरकार की प्रशंसा खुद प्रधानमंत्री ने की है और सभी राज्यो में दिल्ली मॉडल को लागू करने की अनुशंसा की है।
तो बात यही है प्रधानमंत्री को क्या करना चाहिए? गुजरात सरकार की तरह महामारी को दबाने का प्रयास करना चाहिए जिससे कई बेगुनाह लोग यू ही काल के गाल में समाते जाए। या दिल्ली सरकार की तरह बदनामी से डरे बिना ईमानदारी के साथ उस और महत्त्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए?
जय हिन्द।
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