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प्रेरक प्रसंग: भाग्य की बात

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 🙏🙏🙏 *भाग्य_की_बात : एक सच्ची घटना!* यात्रियों से भरी बस चली जा रहा थी, जब अचानक मौसम बदला और भारी बारिश चालू हो गयी और बिजली भी चारों तरफ चमकने लगी । सभी देख रहे थे कि बिजली कभी भी बस को चपेट में ले सकती है । रोशनी से बचने के 2 या 3 कठिन प्रयास के बाद, चालक ने पेड़ से पचास फुट की दूरी पर बस बंद कर कहा - "हमारे पास बस में कोई है जिसकी मृत्यु आज निश्चित है।" उस व्यक्ति की वजह से बाकी सब लोग आज भी मारे जाएंगे। अब ध्यान से सुनिये जो मैं कह रहा हूं .. मैं चाहता हूं कि प्रत्येक व्यक्ति बस से उतर एक एक कर बाहर जाकर पेड़ के तने को स्पर्श करे और वापस आ जाए। "जिसकी मौत निश्चित है वह बिजली से पकड़ा जाएगा और मर जाएगा और बाकी सभी को बचा लिया जाएगा "। उसने पहले व्यक्ति को जाने और पेड़ को छूने और वापस आने के लिये कहा । वह अनिच्छा से बस से उतर गया और पेड़ को छुआ। उसका दिल प्रसन्न हो गया जब कुछ भी नहीं हुआ और वह अभी भी जीवित था। यही क्रम बाकी यात्रियों के लिए जारी रहा और उन सभी को राहत मिली जब वे पेड़ को छु कर लौटे और कुछ भी नहीं हुआ। लेकिन जब आखिरी यात्री की बारी आई, तो सभी उसे...

प्रेरक कहानी-१ (प्रथम प्रयास)

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 शाम हो चली थी.. लगभग साढ़े छह बजे थे.. वही हॉटेल, वही किनारे वाली टेबल और वही चाय, सिगरेट.. सिगरेट के एक कश के साथ साथ चाय की चुस्की ले रहा था। उतने में ही सामने वाली टेबल पर एक आदमी अपनी नौ-दस साल की लड़की को लेकर बैठ गया। उस आदमी का शर्ट फटा हुआ था, ऊपर की दो बटने गायब थी. पैंट भी मैला ही था, रास्ते पर खुदाई का काम करने वाला मजदूर जैसा लग रहा था। लड़की का फ्रॉक धुला हुआ था और उसने बालों में वेणी भी लगाई हुई थी.. उसके चेहरा अत्यंत आनंदित था और वो बड़े कुतूहल से पूरे हॉटेल को इधर-उधर से देख रही थी..  उनके टेबल के ऊपर ही चल रहे पँखे को भी वो बार-बार देख रही थी, जो उनको ठंडी हवा दे रहा था.. बैठने के लिये गद्दी वाली कुर्सी पर बैठकर वो और भी प्रसन्न दिख रही थी.. उसी समय वेटर ने दो स्वच्छ गिलासों में ठंडा पानी उनके सामने रखा.. उस आदमी ने अपनी लड़की के लिये एक डोसा लाने का आर्डर दिया.  यह आर्डर सुनकर लड़की के चेहरे की प्रसन्नता और बढ़ गई.. और आपके लिए? वेटर ने पूछा.. नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिये: उस आदमी ने कहा. कुछ ही समय में गर्मागर्म बड़ा वाला, फुला हुआ डोसा आ गया, साथ में चटनी-सांभा...

जीवन मंत्र: २ (दो हिरे)

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 🙏 एक सौदागर को बाज़ार में घूमते हुए एक उम्दा नस्ल का ऊंट दिखाई पड़ा! . सौदागर और  ऊंट बेचने वाले के बीच काफी लंबी सौदेबाजी हुई और आखिर में सौदागर ऊंट खरीद कर घर ले आया! . घर पहुंचने पर  सौदागर ने अपने नौकर को ऊंट का कजावा ( काठी) निकालने के लिए बुलाया..! . कजावे के नीचे नौकर को एक छोटी सी मखमल की थैली मिली जिसे खोलने पर उसे कीमती हीरे जवाहरात भरे होने का पता चला..! . नौकर चिल्लाया,"मालिक आपने ऊंट खरीदा, लेकिन देखो, इसके साथ क्या  मुफ्त में आया है!" . सौदागर भी हैरान था, उसने अपने नौकर के हाथों में हीरे देखे जो कि चमचमा रहे थे और सूरज की रोशनी में और भी टिम टिमा रहे थे! . सौदागर बोला: " मैंने ऊंट ख़रीदा है, न कि हीरे, मुझे उसे फौरन वापस करना चाहिए!" . नौकर मन में सोच रहा था कि मेरा मालिक कितना  बेवकूफ है...! . बोला: "मालिक किसी को पता नहीं चलेगा!" पर, सौदागर ने एक न सुनी और वह फौरन बाज़ार पहुंचा और दुकानदार को मख़मली थैली वापिस दे दी! . ऊंट बेचने वाला बहुत ख़ुश था, बोला, "मैं भूल ही गया था कि अपने कीमती पत्थर मैंने  कजावे के नीचे छुपा के रख दिए थे! . अब ...

जीवन मंत्र

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 - 🥀 मैं रूठा,       तुम भी रूठ गए,       फिर मनाएगा कौन ?🥀 🥀 आज दरार है,       कल खाई होगी,       फिर भरेगा कौन ?🥀 🥀 मैं चुप,      तुम भी चुप,      इस चुप्पी को      फिर तोडे़गा कौन ?🥀 🥀 छोटी बात को,        लगा लोगे दिल से,       तो रिश्ता फिर        निभाएगा कौन ?🥀 🥀 दुखी मैं भी        और तुम भी बिछड़कर,       सोचो हाथ फिर        बढ़ाएगा कौन ?🥀 🥀 न मैं राजी      न तुम राजी,      फिर माफ़ करने का      बड़प्पन दिखाएगा कौन ?🥀 🥀 डूब जाएगा,       यादों में दिल कभी,       तो फिर धैर्य        बंधायेगा कौन ?🥀 🥀 एक अहम् मेरे,       एक तेरे भीतर भी,       इस अहम् को        फिर हराएगा कौन ?🥀 🥀 ज़िंदगी किसको    ...

श्री राममंदिर भूमिपूजन

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 प्रणाम मित्रो... राम मंदिर निर्माण भूमि पूजन की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं। राम मंदिर पर बात करने से पहले हम आपको इतिहास में कुछ 900 वर्ष पीछे ले जाना चाहते है.... भारत में 900 वर्ष में कितने वंश का राज्य रहा जिससे भारत में क्या क्या परिवर्तन हुए।        *गुलाम वंश...👇🏼👇🏼👇🏼*       *साल.*      *नाम.* *1). 1193, मुहम्मद घोरी.* *2). 1206, कुतुबुद्दीन ऐबक.*  *3). 1210, आराम शाह.* *4). 1211, इल्तुतमिश.* *5). 1236, रुकनुद्दीन फिरोज शाह.* *6). 1236, रज़िया सुल्तान.* *7). 1240, मुईज़ुद्दीन बहराम शाह.* *8). 1242, अल्लाउदीन मसूद शाह.* *9). 1246, नासिरुद्दीन महमूद.* *10). 1266, गियासुदीन बल्बन.* *11). 1286, कै खुशरो.* *12). 1287, मुइज़ुदिन कैकुबाद.* *13). 1290, शमुद्दीन कैमुर्स.*     *1290, गुलाम वंश समाप्त्...* *(शासन काल- 97, वर्ष लगभग.)*           *खिलजी वंश...👇🏼👇🏼👇🏼*       *साल.*        *नाम.* *1). 1290, जलालुदद्दीन फ़िरोज़ खिलजी.* *2). 1296, अल्लाउदीन खि...

Situation of Unlock-3

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प्रणाम दोस्तो , भारत में कोरोना को पांच महीने पुरे होने को है. जिनमे से तीन महीने से ज्यादा lockdown  रहा , वैसे तीन महीने बहुत ही पर्याप्त समय होता है किसी भी महामारी रोकने के लिए, बस आकांक्षा होनी चाहिये, पर हमारे यहाँ महामारी को रोकने से ज्यादा इस बात पर जोर दिया गया और दिया जा रहा की महामारी अभी फैली ही नहीं है या हम दूसरे राज्य या दूसरे देश की तुलना में बहुत कम प्रभावित है.. इसके लिए हर हथकंडे अपनाये जा रहे, जैसे टेस्टिंग कम करना, मरीज को संदिग्ध बता कर ही गोपनीय तरीके से उसका अंतिम संस्कार कर देना जिससे आकड़े बढे हुए नहीं दिखे। उसी का परिणाम आज हमारा देश और उसके कई राज्य भुगत रहे है, कुछ राज्यों में तो इस वजह से विधायक, सांसद, मंत्री तो क्या मुख़्यमंत्री तक को महामारी ने चपेट में ले लिया है.  चलो छोडो अब इन बातो से कोई मतलब नहीं रह गया है. क्योकि अब सबसे बड़ी चिंता आम आदमी की आजीविका की है, ४-५ महीने से घर बैठे हुए मध्यमवर्गीय परिवारों के सामने महामारी से कम और भूख से मरने की ज्यादा चिंता है, निकम्मी सरकारों ने तो न जान को छोड़ा न जहाँ को. इन्ही सब बातो को ध्य...

मुख्यमंत्री कोरोना पॉजिटिव

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मध्यप्रदेश में महामारी काल में सरकार गिराकर मुख्यमंत्री बनने वाले शिवराज सिंह चौहान कोराेना पॉज़िटिव आए है। ज्यादा बुरा तो नहीं लगा क्योंकि 25000+ लोगो को भी मध्यप्रदेश में कोरोना पॉज़िटिव आया है। महामारी के आपातकालीन समय में भी जो इंसान सरकार गिरा कर खुद मुख्यमंत्री बनने जैसा साहसी कदम उठा सकता है, उसके लिए क्या दुख हो सकता है। जिस समय आपको अपने राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर निस्वार्थ भाव से जनता की सेवा करना चाहिए, उस समय आपने पूरे राज्य में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी, सरकार अस्थिर कर दी, गिरा दी, काम नहीं करने दिया। खुद सारी जिम्मेदारी अपने कंधो पर उठा ली। आम जनता को आप मास्क लगाने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की बात की पर खुद भीड़ के बीच में बिना मास्क के देखे गए। अपने साथियों से सरकार बनने कि खुशी में ना सिर्फ हाथ मिलता जबकि गले भी मिले। वैसे कोरोंना किसी को भी नहीं देखता ना राजनीतिक दल, ना धर्म, ना गोरा, ना काला, ना अमीर, ना गरीब। पर आपको लगा मुख्यमंत्री को कोरोनावायरस हो ही नहीं सकता। इसलिए आपने इतने साहसिक कार्य किए। चलिए कोई बात नी आपके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते है, और उम्मीद ...