प्रेरक कहानी-१ (प्रथम प्रयास)
शाम हो चली थी.. लगभग साढ़े छह बजे थे.. वही हॉटेल, वही किनारे वाली टेबल और वही चाय, सिगरेट.. सिगरेट के एक कश के साथ साथ चाय की चुस्की ले रहा था। उतने में ही सामने वाली टेबल पर एक आदमी अपनी नौ-दस साल की लड़की को लेकर बैठ गया। उस आदमी का शर्ट फटा हुआ था, ऊपर की दो बटने गायब थी. पैंट भी मैला ही था, रास्ते पर खुदाई का काम करने वाला मजदूर जैसा लग रहा था। लड़की का फ्रॉक धुला हुआ था और उसने बालों में वेणी भी लगाई हुई थी.. उसके चेहरा अत्यंत आनंदित था और वो बड़े कुतूहल से पूरे हॉटेल को इधर-उधर से देख रही थी.. उनके टेबल के ऊपर ही चल रहे पँखे को भी वो बार-बार देख रही थी, जो उनको ठंडी हवा दे रहा था.. बैठने के लिये गद्दी वाली कुर्सी पर बैठकर वो और भी प्रसन्न दिख रही थी.. उसी समय वेटर ने दो स्वच्छ गिलासों में ठंडा पानी उनके सामने रखा.. उस आदमी ने अपनी लड़की के लिये एक डोसा लाने का आर्डर दिया. यह आर्डर सुनकर लड़की के चेहरे की प्रसन्नता और बढ़ गई.. और आपके लिए? वेटर ने पूछा.. नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिये: उस आदमी ने कहा. कुछ ही समय में गर्मागर्म बड़ा वाला, फुला हुआ डोसा आ गया, साथ में चटनी-सांभा...